लुक-आउट सर्कुलर सख्त कदम है और इसके बुरे असर हो सकते हैं। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को इसे जारी करने से पहले अच्छी तरह सोचना चाहिए। High court। Hight court judgement 2025। High Court

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 Case Title: BAGADI SANTOSH KUMAR v. UNION OF INDIA

Date of Judgment: 12.03.2025 

Case Number: WRIT PETITION NO: 4788/2025

यह मामला लुक-आउट सर्कुलर (LOC) जारी करने से जुड़े कानूनी सिद्धांतों को स्पष्ट करता है और यह दर्शाता है कि यह एक कठिन उपाय है, जिससे व्यक्ति की स्वतंत्रता और आने-जाने के अधिकारो को प्रभावित करता है

महत्वपूर्ण प्वाइंट 

1. LOC के प्रभाव:

LOC एक दंडात्मक कठिन उपाय है जो किसी व्यक्ति को सरेंडर करने के लिए मजबूर करता है और व्यक्तियो की निजी स्वतंत्रता व स्वतंत्र आने-जाने के अधिकार को भी प्रभावित करता है।


LOC जारी करने से पहले संबंधित प्राधिकरण को प्रत्येक मामले के तथ्यों पर उचित विचार करना चाहिए।


2. पूरे मामले की पृष्ठती करना:

याचिकाकर्ता बगाड़ी संतोष कुमार, जो कि कैपजेमिनी ऑस्ट्रेलिया में मैनेजर हैं, अपने ससुर के अंतिम संस्कार के लिए भारत आए हुए थे।

विशाखापट्टनम हवाई अड्डे पर उन्हें रोककर LOC की जानकारी दी गई।

याचिकाकर्ता के खिलाफ पहले उनकी पूर्व पत्नी थम्मिनेनी ज्योत्स्ना रानी ने घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और धमकी के आरोप में केस दर्ज कराया था।

मामला आई एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, विशाखापट्टनम के समक्ष लंबित है, जिसमें याचिकाकर्ता जांच में सहयोग कर रहे है।

इसके बाद, याचिकाकर्ता ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(ia) के तहत तलाक की अर्जी दाखिल की और उनकी पूर्व पत्नी इस मामले में एकतरफा अनुपस्थित रहीं।

तलाक के बाद, याचिकाकर्ता ने उ. स्वाति के साथ पुनर्विवाह कर लिया।


3. नई शिकायत और LOC का जारी होना

तलाक के बाद, पूर्व पत्नी ने 10.09.2024 को एक नई शिकायत दर्ज कराई, जिसे क्राइम नंबर 319/2024 (विशाखापट्टनम एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन) के तहत दर्ज किया गया।

इस शिकायत में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 82 और 85 के तहत आरोप लगाए गए।

इसके आधार पर विशाखापट्टनम के पुलिस अधीक्षक (5वें उत्तरदायी पक्षकार) ने LOC जारी करवा दी।

4. कोर्ट का फैसला:


जबकी याचिकाकर्ता ऑस्ट्रेलिया में थे, उन्हें LOC के बारे में कोई भी जानकारी नहीं थी।

पुलिस पहले ही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 35(3) के तहत नोटिस जारी कर चुकी थी, और याचिकाकर्ता ने पुलिस की इस जांच में पुरा सहयोग भी दिया था।

इन तथ्यों को देखते हुए, कोर्ट ने LOC को अनावश्यक और अनुचित मानते हुए इसे रद्द करने का निर्देश दे दिया 


विशाखापट्टनम के पुलिस अधीक्षक को 17.09.2024 को जारी LOC वापस लेने के आदेश दिए गया।


निष्कर्ष:

यह फैसला LOC के अनुचित उपयोग के खिलाफ एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि आरोपी जांच में सहयोग कर रहा है, तो LOC जारी करना अनुचित है।


यह निर्णय स्वतंत्रता के अधिकार को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह सुनिश्चित करता है कि LOC का उपयोग केवल अनिवार्य परिस्थितियों में ही किया जाए।

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